सामुदायिक इकोपर्यटन भारत में व्यापक रूप से फैल रहा है, यद्ध्यपि हमेशा अपनी वास्तविक भावना में नही। उत्तराखंड के एक अग्रणी मनोहर सिंह मनराल, यहां अशीष कोठारी से जिम्मेदार पर्यटन के माध्यम से आजीविका और संरक्षण को जोड़ने के लिए उनकी दृष्टि के बारे में बात करते हैं। मनरालजी इको हैरीमैन का होमस्टे चलाते हैं और पवलगढ़ प्रकृति प्रहरी (www.pawalgarh.org) को शुरू करने में उनका बडा हाथ है, जो ज्यादातर स्थानीय युवाओं का एक समूह है जो इकोपर्यटन, आजीविका और पर्यावरण संरक्षण को एकीकृत करता है। उत्तराखंड पक्षी अवलोकन फेस्टिवल, 7-9 फरवरी 2020 के संदर्भ में 6.2.2020 पर बातचीत।
Community-led and homestay-based ecotourism has spread widely across India … not necessarily always in its true spirit though. One of the pioneers in Uttarakhand, Manohar Singh Manral, talks to Ashish Kothari about his vision for linking livelihoods and conservation through such responsible tourism. Manralji runs Eco Harryman’s homestay and helped start Pawalgarh Prakriti Prahari (www.pawalgarh.org), a group of mostly local youth who integrate ecotourism, livelihoods and conservation. Conversation on 6.2.2020, in the context of the Uttarakhand Birding Festival, 7-9 February 2020.
First published on Ashish Kothari’s blog
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