भिलवाड़ा। वुमन्स वर्ल्ड समिट फाउन्डेशन जिनेवा द्वारा भीलवाड़ा की केशी बाई को एक हजार डॉलर के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है। यह पुरस्कार भारत में दो महिलाओं को दिया गया। ये दोनों वर्ल्ड की उन 9 महिलाओं की लिस्ट में शामिल हैं, जिनको इसके अंतर्गत पुरस्कार दिया जाना था।
चुनाव लड़कर सरपंच भी बनीं
केशी बाई करेड़ा तहसील के चिताम्बा ग्राम पंचायत के छोटे से ग्राम संजाडी के बाडियां की रहने वाली हैं। जिनके गांव में कुछ वर्षों पूर्व हालात यह थे कि गांव की चौपाल हथाई पर महिलाएं पुरुषों की मौजूदगी में अपने जूते-चप्पल उतारकर हाथ में लेकर सामने से निकलती थीं। ऐसे हालातों में निरक्षर केशी बाई ने पहले पढ़ना-लिखना सीखा और फिर महिलाओं को गांव के फैसलों में सक्रिय भागीदार बनाया। केशी बाई सरपंच का चुनाव लड़कर सरपंच भी बनीं।
इन विशेषताओं के कारण मिला सम्मान
पिछले बीस सालों से महिलाओं के हक में संघर्षरत केशी बाई इस बार सरपंच नहीं हैं। वे राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के आर्थिक सहयोग से चलने वाली संस्था फाउन्डेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी ‘एफईएच’ के सहयोग से वृक्षारोपण और जलसंग्रहण का अनूठा कार्य कर रहीं हैं। इन्हीं विशेषताओं के आधार पर जेनेवा की संस्था (WWSF) ने एक हजार डॉलर के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से उन्हें नवाजा है।
बाड़िया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस के अवसर पर केशी बाई को ये सम्मान पुलिस उपाधिक्षक चंचल मिश्रा, प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रमोद तिवारी और महिला डेयरी अधिकारी आशा शर्मा ने दिया। इस मौक पर केशी बाई ने कहा कि ग्राम में पहले कोई भी महिला हथाई ‘चौपाल’ पर नहीं बैठ सकती थी। यही नहीं वहां से गुजरते समय उस पर पुरुष बैठे हों तो वहां से चप्पल हाथ में लेकर जाना पड़ता है। मैं जब सरपंच बनी तो सबसे पहले ग्रामीण महिलाओं को पढ़ने के लिए जागरूक किया। इसके साथ ही गांव की सभी लड़कियों को शिक्षा मिल सके इसके लिए प्रयास भी किया। उसके लिए विद्यालय भी बनवाया। इससे महिलाओं का खुद पर भरोसा जागा।
ग्रामीण महिलाओं ने की केशी बाई की सराहना
ग्रामीण महिलाओं ने कहा कि हमने केशी बाई के साथ पहली बार हथाई पर बैठना सिखा और उसके बाद हमें भी लगा की कुछ कर सकते हैं। हमें खुशी है कि केशी बाई को यह पुरस्कार मिला। संस्था ने जो केशी बाई को पुरस्कृत किया है। उससे अन्य महिलाओं को प्रेरणा मिलेगी और वह भी आगे आकर समाज की सेवा करेंगी। प्रोजेक्ट ऑफिसर, एफपीएस वीके शर्मा ने कहा कि केशी बाई ने समाज की बुराई का अंत किया है। इन्होंने पुरुषों के साथ बैठकर गांव की अच्छाई के लिए फैसले लिए हैं और अन्य महिलाओं को भी इसमें आगे बढ़कर काम करने का हौंसला बंधाया है।
First published on Eenadu India Hindi
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