हाथीपावा : श्रमदान से बदली सूरत (in Hindi)

PostedonAug. 13, 2020in Environment and Ecology

-हलमा कार्यक्रम : पांच घंटे में पांच हजार लोगों ने बनाई 15 हजार जल संरचनाएं झाबुआ। सहयोग की परंपरा हलमा का बड़ा आयोजन मंगलवार को शहर से सटी हाथीपावा की पहाड़ियों पर हुआ। शिवगंगा द्वारा आयोजित हलमा कार्यक्रम में 5 हजार से ज्यादा ग्रामीणों ने अपने खर्च पर झाबुआ पहुंचकर पांच घंटे तक श्रमदान किया। साधन भी अपने साथ लेकर आए। सुबह 7 से दोपहर 1

-हलमा कार्यक्रम : पांच घंटे में पांच हजार लोगों ने बनाई 15 हजार जल संरचनाएं

झाबुआ। सहयोग की परंपरा हलमा का बड़ा आयोजन मंगलवार को शहर से सटी हाथीपावा की पहाड़ियों पर हुआ। शिवगंगा द्वारा आयोजित हलमा कार्यक्रम में 5 हजार से ज्यादा ग्रामीणों ने अपने खर्च पर झाबुआ पहुंचकर पांच घंटे तक श्रमदान किया। साधन भी अपने साथ लेकर आए। सुबह 7 से दोपहर 12 बजे तक 15 हजार कंटूर ट्रेंच (जल संरचनाएं) खोदे गए। इनमें पुराने ट्रेंच की मरम्मत भी शामिल थी, जो उन्होंने ही बनाए थे। ये दृश्य देखने दूर-दूर से सामाजिक कार्यकर्ता पहुंचे। भीलों की हलमा परंपरा की इस महानता को देखकर हर कोई आश्चर्य में पड़ गया।

सोमवार से हलमा कार्यक्रम की शुरुआत हुई। शाम को निकली गैती यात्रा के बाद पीजी कॉलेज ग्राउंड पर धर्मसभा का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भागीदारी की। रात को प्रख्यात कलाकार बाबा सत्यनारायण मौर्य ने रोचक और चित्रात्मक तरीके से कार्यक्रम प्रस्तुत किया। मंगलवार अलसुबह साढ़े 5 बजे से ग्रामीणों ने हलमा की तैयारियां शुरू कर दी। तैयार होकर सारे लोग हाथीपावा की पहाड़ियों के लिए पैदल निकल पड़े। सुबह 7 बजे श्रमदान का दौर शुरू हो गया। सारे ग्रामीण अपने-अपने क्षेत्र के हिसाब से आई कार्ड और झंडे के रंग वाली जगह पर पहुंच गए और बिना इंतजार के लिए काम शुरू कर दिया। सुबह 7 बजे काम शुरू हुआ। देखते ही देखते 9 वर्ग किमी की हाथीपावा की पहाड़ियों की रंगत अलग सी दिखाई देने लगी। दूर-दूर तक श्रमदान करते कार्यकर्ता दिख रहे थे। खुदाई की अलग रंग की मिट्टी से पहाड़ियां पटने लगी। दोपहर 12 बजे तक ये सिलसिला चलता रहा। अतिथियों ने इस दृश्य को अद्भुत करार दिया। शिवगंगा के महेश शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि ये आदिवासियों की सोच की समृद्धि और उनके सेवाभाव का उदाहरण है। उनकी परंपराओं का हमें मान करना चाहिए।

दूर-दूर से आए लोग

हलमा कार्यक्रम को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आए। खास तौर पर आयोजन में श्रृंगेरी पीठ के काड़सिद्धेश्वर स्वामी, राज्यसभा सदस्य वसवराज पाटिल और बाबा सत्यनारायण मौर्य शामिल हुए। इनके अलावा गायत्री परिवार के वीरेश्वर उपाध्याय, गुजरात के एनआरआई यश पटेल, उनकी पत्नी, बड़ौदा से रमेश पटेल जो पूर्व में लंदन में रहते थे, मुंबई से रवींद्र नीखे, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोश्यल स्टडीज के प्रो. रविराज, पुणे से गिरीश प्रगुणे आदि शामिल हुए। स्थानीय स्तर पर आयोजन में राजाराम कटारा, भंवरसिंह भयड़िया, बहादुरभाई, राजेश मेहता, विकास शाह, नीरज राठौर, सुशील शर्मा आदि का भी सहयोग रहा। -निप्र

खास-खास

-5 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने किया श्रमदान।

-5 घंटे तक गड्ढे खोदकर बनाए कंटूर ट्रेंच।

-गैती-फावड़े और तगारी साथ लेकर आए।

-15 हजार से ज्यादा जल संरचनाओं का निर्माण।

-9 वर्ग किमी मे फैली हाथीपावा की पहाड़ियों पर किया श्रमदान।

-शिवगंगा संस्था द्वारा आयोजित किया जाता है कार्यक्रम।

First published by Nai Dunia on 15 Mar. 2016

इसी उपक्रम के बारे में अंग्रेज़ी में पढिये REVIVING TRADITION WITH NEW MANDATE: SHIVJI KA HALMA

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